भारत के लिए एक राष्ट्रीय जनसंख्या नीति कैसे होने चाहिए?

भारत एक कल्याणकारी राज्य है, जहाँ लोकतंत्र है। यह पे भोजन, शिक्षा और अन्य सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए बड़ी निधि मिलती है। नीति के हिस्से के रूप में, सहायता ऐसे लोगों तक सीमित की जा सकती है, जिनके दो या उससे कम बच्चे हैं। सरकारी नौकरी के लिए किसी भी परिवार से दो से अधिक बच्चों वाले लोगों पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।

राष्ट्रीय जनसंख्या नीतियों में घोषणा और संशोधन से पहले जनसंख्या में तेजी से वृद्धि के परिणामों की जानकारी व्यापक तरीके से होने के लिए एक विशिष्ट परियोजना बनानी होगी, जिससे अधितर लोगों तक पहुंच जानी चाहिए। व्यापक शैक्षिक अभियान चलाए जाने चाहिए।

निचे दिए गए निम्नलिखित पर कुछ प्रकाश डालना जरुरी है।

देश के सभी लोगों के पास हमेशा प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, सूखा, अकाल, महामारी, भूकंप, तूफान और चक्रवात आपदाओं के बावजूद पर्याप्त ईंधन और भोजन होना चाहिए, ताकि हर समय होनेवाली मौत रोकी जा सके या कम हो।

लोगों को अच्छी तरह से पोषित, स्वस्थ, शिक्षित और सक्षम और अपनी आजीविका कमाने और उचित आराम से रहने के लिए काम करने के लिए तैयार होना चाहिए।

लोगों के पास पर्याप्त आवास होना चाहिए, या तो स्वयं का या किफायती किराए के भीतर होना जरुरी है।

जन्म के से मृत्यु और शिशु मृत्यु दर शून्य होना चाहिए और जीवन प्रत्याशा बढ़ रही होनी चाहिए।

जमीन के नीचे और ऊपर प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन के माध्यम से होनेवाला शोषण रुकना चाहिए, जिससे पर्यावरण का क्षरण होता है। और भारत की सभ्यता और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित किया जाना चाहिए।

राज्यों, क्षेत्रों, जातियों और धार्मिक के बीच जनसंख्या की वृद्धि की विभिन्न दरों से समाज के भीतर असंगति नहीं होनी चाहिए। देश में जनसंख्या और इसकी वृद्धि दर लोगों के भरण-पोषण और आर्थिक कल्याण के साधनों से संबंधित होनी चाहिए।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *