जैसे जैसे ईंधन के दाम बढ़ते जायेंगे उसी तरह लोगों में एक असंतोष की भावना पैदा होते जाएगी। भारत में सबसे पहली ग्रीन हाइड्रोजन सेल कार देखि गयी जब हमारे केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पायलट के रूप में संसद की यात्रा की। उन्होंने अक्षय ऊर्जा और हरित ऊर्जा में परिवर्तन के बारे में बताया और इसे केंद्र द्वारा रुख में बदलाव के एक मजबूत संकेत के रूप में समझा जा सकता है।
जीवाश्म ईंधन से ऊर्जा उत्पादन से स्थायी तरीकों को इस्तेमाल कम करना ही अच्छे भविष्य के लिए सही होगा। इसलिए, केंद्र दो मुख्य विकल्पों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, अर्थात् बिजली और हाइड्रोजन है।
हाइड्रोजन फ्यूल सेल कार क्या है।
हाइड्रोजन फ्यूल सेल वेहिकल इलेक्ट्रिक व्हीकल के समान है। जिसमें वे पहियों को पावर देने के लिए इंटरनल कम्बशन इंजन के बजाय इलेक्ट्रिक मोटर का उपयोग करते हैं। जबकि इलेक्ट्रिक वेहिकल बैटरी पर चलती है और उसे रिचार्ज करने के लिए प्लग इन किया जाता है पर हाइड्रोजन फ्यूल सेल वेहिकल अपनी बिजली ऑनबोर्ड उत्पन्न करती है। इस एक ईंधन सेल में, वाहन के ईंधन टैंक से हाइड्रोजन (H2) गैस हवा से ऑक्सीजन (O2) के साथ मिलकर प्रक्रिया के उपोत्पाद के रूप में केवल पानी और गर्मी के साथ बिजली उत्पन्न करती है।
ब्रह्मांड में हाइड्रोजन प्रचुर मात्रा में है, इसे ईंधन के रूप में उपयोग करने के लिए अन्य यौगिकों से अलग किया जाना चाहिए। यह प्रक्रिया ऊर्जा गहन हो सकती है। इसमें एक प्रणोदन प्रणाली का उपयोग जाता है जहा हाइड्रोजन के रूप में संग्रहीत ऊर्जा को ईंधन सेल द्वारा बिजली में परिवर्तित किया जाता है। FCEVs वाहन पर एक टैंक में संग्रहीत शुद्ध हाइड्रोजन गैस होता है। अन्य इलेक्ट्रिक वाहनों के विपरीत इसे भरने के लिए मात्र 3 -4 मिनिट का समय लगता है।
उत्सर्जन
इलेक्ट्रिक वाहनों के तरह FCV भी शून्य उत्सर्जन वाहन है। इसमें कोई ग्रीनहाउस गैस टेलपाइप उत्सर्जन नहीं होते है। हाइड्रोजन ईंधन के उत्पादन और परिवहन की प्रक्रिया में उत्सर्जन होता है। हाइड्रोजन ईंधन के उत्पादन से जुड़े उत्सर्जन की मात्रा हाइड्रोजन के स्रोत और उत्पादन विधि पर निर्भर करती है।
चालन सीमा
एफसीवी हाइड्रोजन गाड़ियां एक टैंक पर 300 मील याने 480 किलोमीटर से अधिक दूरी प्राप्त कर सकते हैं।
हाइड्रोजन को पानी से अलग करना क्यों आवश्यक है?
ईंधन के रूप में हाइड्रोजन की क्षमता सबसे अधिक है। वर्ल्ड एनर्जी कॉउन्सिलिंग के अनुसार १ कग गैसोलीन की तुलना में 1 किलोग्राम हाइड्रोजन 3 गुना ज्यादा एनर्जी का उत्पादन करता है। तो 1 किलोग्राम नेचुरल गैस की तुलना में 2.5 गुना ज्यादा एनर्जी प्रोडूस करता है।
हाइड्रोजन भविष्य का ईंधन है, परम हरित ईंधन भी कहा जाता है। हाइड्रोजन शून्य कार्बन उत्सर्जन वाला हरित ईंधन है और यह ईंधन लंबे समय तक चलने वाला होता है
नीति के तहत, भारत सरकार ने 50 लाख टन हाइड्रोजन का उत्पादन करने की योजना बनाई है। और सरकार ने 800 करोड़ के प्लॉट प्रोजेक्ट को भी शोध और विकास के लिए हरी झंडी दिई है।
FCEV’s कार्बन-न्यूट्रल फुटप्रिंट के साथ ईंधन का उपयोग करती है जिससे ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र में क्रांति का संकेत है। वर्तमान में केवल नए कम-उत्सर्जन वाहनों की बिक्री का 0.5% हिस्सा हैं। हालांकि, भविष्य में एफसीईवी का बाजार फलने-फूलने वाला है।
भविष्य में ग्रीन हाइड्रोजन का खनन ट्रेनों, हवाई जहाजों, लॉरी, बसों और यहां तक कि समुद्री जहाजों के परिवहन के लिए भी महत्वपूर्ण होनेवाला है।
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