जुट भारत के प्रमुख उद्योग है, जो कपास के बाद सबसे महत्वपूर्ण उद्योगों में से एक है। इसमें भारत सबसे बड़ा उत्पादक है, फिर बांग्लादेश और चीन का स्थान आता है।
यह भारत का 150 साल पुराना उद्योग है। देश में लगभग 70 जूट मिलें हैं, जो सबसे ज्यादा 60 हुगली नदी के किनारे है।
भारत को जुट उद्योग में आगे रखने में पश्चिम बंगाल, आसाम, बिहार, मेघालय, आंध्र प्रदेश, बिहार और त्रिपुरा है। भारत से कुल उत्पादन में 90 प्रतिशत से भी ज्यादा का हिस्सा पश्चिम बंगाल, बिहार और आसाम के पास है।
जुट का अधिकतर उत्पादन भारत के डेल्टा क्षेत्र में होता है जो पश्चिम बंगाल राज्य में आता है। और आसाम, मेघालय और त्रिपुरा के कुछ हिस्सों में भी उगाया जाता है। इसमें खेती के लिए 24 डिग्री सेल्सियस से 37 डिग्री सेल्सियस के बिच का तापमान के साथ गर्म और आर्द्र जलवायु में अनुरूप होता है। इसे फसल चक्रों में उगाए जाने पर मिट्टी की उर्वरता भी बढाती है और इसे जलाने पर जहरीली गैसें नहीं निकलती हैं।
जुट उद्योग की तरक्की और विकास
जुट उद्योग भारत में एक हथकरघा उद्योग के रूप में अस्तित्व में था। पर कुछ ही सालों में 1855 में कोलकत्ता के पास रिशरा में बड़े पैमाने पर बनने लगा। यह निर्यात करनेलायक उद्योग था इसीलिए इसने तेजी से प्रगति की।
भारत को इस उद्योग का सबसे बड़ा हादसा तब लगा जब 1947 के देश के विभाजन में, इसने बड़ी समस्या खड़ी की क्योंकि भारत का 80% जूट उत्पादन क्षेत्र पूर्वीय पाकिस्तान में चला गया।
राजनीतिक मतभेदों के कारण भारत को इस पूर्वीय देश से कच्चे माल का आयत बंद हुआ।
फिर कुछ ही वर्षों में भारत ने जूट की खेती के तहत क्षेत्र को बढ़ाने के लगातार प्रयास किये और स्थिति को ठीक करने में सक्षम हो गया।
भारत में कुछ नीतियों में बदलाव के साथ इस उद्योग को बढ़ावा मिला और राष्ट्रिय और अंतराष्ट्रीय मांग से यह बड़ी तेजी फला फुला।
जुट उद्योग का चढ़ उतार
भारत में जुट उद्योग में होते विभिन्न राजनीतिक हस्तक्षेप से जुट उद्योग की स्थिरता को चुनौती मिलती रही है।
पैकेजिंग सामग्री में सिंथेटिक उद्योग से सामना करना पड़ता है जो जुट से सस्ती है।
भारत में अधिकतर जुट का कच्चा माल बांग्लादेश से आता है। स्वतंत्रता के बाद से कच्चे जुट की आपूर्ति को बढ़ाने के प्रयास किये गए पर फिर भी यह हमारे वर्तमान के आवश्यकताओं से कम है।
जुट उद्योग किस चीज पर निर्भर करता है।
जुट उद्योग को पानी बड़ी मात्रा में आवश्यक होती है। इसमें प्रसंस्करण, धुलाई और रंगाई के लिए प्रचुर मात्रा में पानी लगता है। इसीलिए भारत का 90 प्रतिशत उत्पादन गंगा-ब्रह्मपुत्र के डेल्टा भारत में किया जाता है।
गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा क्षेत्र में परिवहन क्षमता अधिक और सस्ता जल परिवहन है। साथ ही सड़क और रेलवे मार्ग भी सक्षम है।
जुट उद्योग के लिए अधिक श्रम की आवश्यकता होती है और इस क्षेत्र पश्चिम बंगाल, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में जनसंख्या उच्च घनत्ववाली है।
बड़े बाजार जैसे कोलकत्ता शहरों की वजह से इस उद्योग में पूंजी का आसान प्रवाह बनता है और बड़ी बाजार की आवश्यकता पूरी हो जाती है।
जुट की खेती के लिए अनुकूल आर्द्र जलवायु इसी क्षेत्र में होने से कच्चे जुट की कटाई और बुनाई के लिए अच्छी सुविधा प्रदान होती है।
200 किलोमीटर की दूरी के भीतर रानीगंज क्षेत्र उद्योग को कोयला उपलब्ध होता है, जिससे बिजली की परेशानी नहीं होती।
जुट उद्योग भारत में लगभग 40 लाख से भी अधिक किसान परिवारों का समर्थन करता है। यह 3 लाख औद्योगिक श्रमिकों और टेरेटरी क्षेत्र में 1.5 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार देता है। इसके निर्यात से भारत मूल्यवान विदेशी मुद्रा भी अर्जित करता है।