Difference Between LPG AND CNG In Hindi

एलपीजी गैस

एलपीजी गैस एक पोर्टेबल स्वच्छ ऊर्जा स्रोत हैं। एलपीजी ज्वलनशील हाइड्रोकार्बन गैसों का मिश्रण है जिसमें प्रोपेन, ब्यूटेन, आइसोब्यूटेन और तीन एलपीजी गैस शामिल हैं। यह गैस तेल और गैस कुंओं से निकलता हैं। यह एक जीवाश्म ईंधन हैं, जिसके निर्माण में प्राकृतिक गैस प्रसंस्करण और कच्चे तेल की रिफाइनरी प्रक्रिया शामिल हैं।

तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) एक रंगहीन गंधहीन तरल हैं जो आसानी से एक गैस में वाष्पित हो जाती हैं। आमतौर पर लीक का पता लगाने में मदद करने के लिए इसमें एक गंधक मिलाया गया हैं।


इसका पूर्ण रूप liquefied petroleum gas or liquid petroleum gas हैं, जिसका अर्थ “तरलीकृत पेट्रोलियम गैस” हैं। जब गैस प्रज्वलन के स्रोत से मिलती हैं तो यह जल सकती हैं या फट सकती हैं।

यह गैस प्रकृति में तरल या ठोस रूप में होता हैं। इसका अद्वितीय उपयोग होने के कारण यह लोकप्रिय हैं। 

कैसे बनता हैं ?

एलपीजी कच्चे तेल से या कच्चे प्राकृतिक गैस को रीफाइन करके बनाया जाता है। इसका स्रोत एक जीवाश्म ईंधन से प्राप्त होता हैं। जब परिवेश के तापमान पर दबाव से रिलीज़ होने पर दबाव में तरल होता हैं, तो यह गैसीय होता हैं। इसे एलपीजी सिलेंडरों में मध्यम दबाव में तरल के रूप में संग्रहीत और परिवहन किया जाता हैं।

 

कहा उपयोग किया जाता हैं ?

एलपीजी के उपयोग भी काफ़ी हैं। यह बहुमुखी ऊर्जा स्रोत होने के कारण इसके बहुत ही अधिक विभिन्न अनुप्रयोगों में किया जाता हैं।

सामान्य तापमान और दबाव पर, रसोई में मुख्य रूप से गैसीय हैं।

एलपीजी का शीर्ष उपयोग वाहनों के लिए मुख्य ईंधन के रूप में किया जाता है। यह डीज़ल या पेट्रोल की तुलना में बेहतर जलता है और इसलिए एलपीजी को सबसे अधिक उपयोग इग्निशन ईंधन के रूप में किया जाता हैं। इसके उपयोग में प्रकृति एवं पर्यावरण पर कम हानिकारक प्रभाव छोड़ता है।

इसका मोटर ईंधन के रूप में उपयोग होता हैं। यह औद्योगिक क्षेत्र में हिटिंग जैसे कार्य में उपयुक्त है।

टरबाइन चलाकर विद्युत ऊर्जा का उत्पादन करने के लिए भी एलपीजी का उपयोग किया जाता है। प्लास्टिक उद्योग और पेपर उद्योग में एक प्रमुख भूमिका निभाता है।

एलपीजी का जलवायु(क्लाइमेट) परिवर्तन असर 

एलपीजी में कम कार्बन होने के कारण जो की कम प्रदुषण वाला ईंधन है, इसे दुनिया भर की सरकारों द्वारा योगदान के लिए मान्यता प्राप्त है। एलपीजी जीएचजी उत्सर्जन को कम करने के लिए सबसे आकर्षक ऊर्जा विकल्पों में से एक है। यह इनडोर और आउटडोर वायु गुणवत्ता और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम कर सकता हैं। एलपीजी ब्लैक कार्बन के अत्यंत निम्न स्तर उत्पन्न करता है, जिससे यह किसी भी ग्लोबल वार्मिंग में कमी की रणनीति का एक आदर्श घटक है।

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सीएनजी गैस

CNG का पूर्ण फॉर्म Compressed Natural Gas है। यह दबाव में प्राकृतिक गैस है जो स्पष्ट, गंधहीन और गैर संक्षारक रहती है। वाहनों के लिए पारंपरिक पेट्रोल और डीजल ईंधन का सस्ता और अधिक कुशल विकल्प भी है।

वायुमंडलीय दबाव में प्राकृतिक गैस को इसकी मात्रा के 1% से कम करने के लिए सीएनजी का उत्पादन किया जाता है।

अन्य ईंधनों की तुलना में, स्पिल (बिखरा) की स्थिति में प्राकृतिक गैस का ख़तरा कम होता है, क्योंकि यह हवा से हल्का होता है और रिलीज होने पर जल्दी फैल जाता है। सीएनजी की एक ज्वलनशीलता रेटिंग लगभग 5 प्रतिशत-15 प्रतिशत है, जो इसे अन्य ज्वलनशील की तुलना में कम ज्वलनशील और सुरक्षित बनाती है।

CNG का उपयोग :-

CNG का उपयोग पारंपरिक गैसोलीन के लिए किया जाता है और साथ ही ऑटोमोबाइल इंजन में इंटरनल कंसम्पशन के लिए किया जाता है। डीजल ईंधन और तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) के स्थान पर किया जा सकता है। पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के कारण अमेरिका देशों में, यूरोप में इसका उपयोग बढ़ रहा है।

यह एक स्पष्ट, गंधहीन, गैर-संक्षारक गैस है जिसका उपयोग वाहनों में उपयोग किए जाने वाले पारंपरिक ईंधन के सस्ते, स्वच्छ और अधिक कुशल विकल्प के रूप में किया जाता है।

इसके फायदे :

CNG पर चलने वाले वाहनों में बाक़ी वाहनों के मुकाबले कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन 80 प्रतिशत काम होता है और 44 प्रतिशत कम हाइड्रोकार्बन का उत्पादन होता है। इसीलिए प्राकृतिक गैस ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में काफ़ी काम योगदान देता हैं।

CNG कारें गैसोलीन और डीजल वाहनों की तुलना में अधिक शांत होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप ध्वनि प्रदूषण कम होता हैं।

सीएनजी से भूजल के दूषित होने का कोई ख़तरा नहीं है क्योंकि ईंधन गैर विषैला है।

सीएनजी में सल्फर, पार्टिकुलेट मैटर, भारी धातुओं के निशान या उसमें मौजूद जहरीला एडिटिव्स नहीं होते हैं, जो आपके मोटर ऑयल को दूषित करने के लिए कारणभूत है।

सुरक्षित मामले में CNG अन्य ईंधन से काफ़ी सुरक्षित हैं। जैसे से की इसका इग्निशन तापमान 600⁰C है, जिससे सीएनजी वाहनों में किसी भी परिस्थिति में आग लगने की संभावना कम होती है और बाक़ी ईंधन गैसोलीन (320⁰C) और डीजल (285⁰C) होता हैं। इसका मैंटेनस कॉस्ट भी बेहतर प्रदर्शन के साथ काफ़ी कम हैं।

इसीलिए लोगों की पहली चॉइस CNG पर टीकी होती है।

 

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